सातवां पहर/छत्तीसगढ़
विनीश तंबोली (विक्की)
प्रधान संपादक
छत्तीसगढ़/ 1 वर्ष बीत चुके है कोरोना को दस्तक दिए इस बीच हमारी लापरवाही एवम प्रशासनिक कमजोरी के कारण ही पुनः लॉकडाउन की जरूरत पडी। आम आदमी अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के मुताबिक कमा पाता इसके पहले ही उसे फिर से लॉकडाउन की मार झेलनी पड़ रही है, गरीब एवम मध्यम वर्ग के लोगो के लिये यह समय किसी आपदा से कम नही है तो वहीं कुछ लोगो के लिए व्यापार का अवसर बन गया है, जरूरत की चीजों के भाव आसमान छू रहे है, मेडिकल वाले भी एम आर पी से नीचे कुछ बेच नही रहे हैं ऐसे में आम आदमी के लिए दवा भी महंगी साबित हो रही है..

*एम आर पी में ही बिक रहा मास्क व सेनेटाइजर*
मेडिकल दुकान वाले दवा को एम आर पी में बेच रहे ये तो समझ आ रहा मगर ये तो नॉन ब्रांडेड सेनेटाइजर को भी फूल रेट में बेच रहे वहीं मास्क की भी पूरी कीमत वसूल रहे है ऐसे में संचालको को अपनी कमाई साइड में रखकर मास्क व सेनेटाइजर का विक्रय करना चाहिए.

*आसमान छू रहे फलों के दाम*
जो बीमार है उन्हें फलों का सेवन करने की सलाह दी जा रही है ऐसे में प्रशासन ने फलों की दुकानें बंद करवा दी है, कही से कुछ जुगाड़ लगा कर फल मिल भी रहा है तो वो भी औने पौने दामों में बेचा जा रहा है, बढ़ती कीमतों का कारण पूछने पर साल्टेज एवं ट्रांसपोर्टिंग बन्द होने का हवाला दिया जा रहा है ।