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कबीरधाम जिले की बेटी अनंदा ने मारी बाजी, सीजीपीएससी में saso के पद पर हुआ चयन..

सातवां पहर/कुंडा (छत्तीसगढ़)
सीजीपीएससी ने बुधवार को परिणाम घोषित किये, जिसमे कुंडा (कबीरधाम) के एक छोटे से गांव खम्हरिया की बिटिया अनंदा चंद्राकर का चयन saso पद के लिए हुआ है,जिसका हिंदी में फुल फॉर्म “राज्य लेखा अधीनस्थ अधिकारी” होता है। लंबे समय से बिलासपुर में रहकर पढ़ाई करने वाली अनंदा का सपना आज पूरा हुआ। जैसे ही परिवार वालो को इसका पता चला उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा।
ग्राम खम्हरिया के एक प्रतिष्ठित परिवार में दिनेश चंद्राकर के घर जन्मी अनंदा, भाई बहनो में तीसरे नम्बर की है, कभी ऐसा था कि अनंदा खुद को एक एवरेज स्टूडेंट मानती थी, लेकिन कड़ी मेहनत और अथक प्रयास से उसने सीजीपीएससी जैसे मुश्किल मुकाम को हासिल किया।
आसान नही था सफर
अनंदा बताती है कि यहां तक का सफर उसके लिये आसान नही था, उसे कई बार असफलताएं मिली लेकिन हर बार फिर से खुद को तैयार कर वापस तैयारी में लगना बहुत कठिन होता था, इसके पहले भी वह 2 बार पीएससी का इंटरव्यू दिला चुकी है लेकिन सिलेक्शन नही होने से उसका हौसला कमजोर पड़ जाता था, लेकिन उसे उम्मीद थी कि जल्द ही कुछ अच्छा और बड़ा होने वाला है क्योंकि उसने अपना आज और कल दोनों दांव पर लगाया हुआ था, शायद इसी का परिणाम है कि उसने उस मुकाम को हासिल किया जो शायद सबके बस की बात नही ।

उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए

स्वामी विवेकानंद का यह वक्तव्य आज भी करोड़ो युवाओं को ऊर्जा देने का काम करता है, अनंदा का भी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण कुछ ऐसा ही था, वो बताती है उसने खुद को यह लक्ष्य दे रखा था कि वह तब तक नही रुकेगी जब तक अपने लक्ष्य तक पहुच न जाए।

जिसने सुना, उसी ने कहा….बेटी हो तो ऐसी, बेटी कहीं पर भी बेटों से कम नहीं की, अनूठी मिसाल.. जरूर पढ़ें..

सातवां पहर/ विक्की तम्बोली
हिंदू धर्म की मान्यताओं में नारी को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है, वही नारी कभी भाई को बहन के रूप में, कभी पति की अर्धांग्नि बनकर तो कभी माॅ बनकर भावी पीढी का सृजन करती है तो कहीं एक पिता की बेटी बनकर बेटे का हर फर्ज निभाती है। नारी के हर स्वरूप के बिना यह संसार अधूरा है।
उसी नारी के स्वरूप में जन्मी एक बेटी जिसने अपनी माॅ के लिए वह भूमिका निभाई है जो शायद हर बेटा निभा न पाए। हम बात कर रहे हैं बिलासपुर की बेटी सुदीप्ता डे की। जो माॅ के देहांत के बाद एक बेटे की तरह उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुई, शमशान गई और वहां उन सभी रीति रिवाजों को निभाया, जिसे बेटा करता है इतना ही नही, उसने अपनी माॅ की चिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। शमशान में उपस्थित सभी स्नेहीजनो ने बेटी के इस साहसिक कदम की सराहना की एवं उसके हौसले को नमन किया।

क्यों है ये बेटी, बेटों से ज्यादा लायक
अपनी मां स्वर्गीय श्रीमती सुष्मिता डे एवं पिता शिवशंकर डे की इकलौती पुत्री है जुही उर्फ सुदीप्ता… माॅ जो शुरू से ही हाउसवाइफ रही और पिता एसईसीएल चिरमिरी में क्लर्क के पद पर पदस्थ हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि इकलौती संतान होने के नाते माता पिता की लाडली रही है। चर्चा के दौरान जुही की बचपन की सहेली श्रद्धा पाण्डेय बताती है कि जुही को 12 वीं कक्षा तक उसकी मां अपने हांथों से ही खाना खिलाती थी, उसे कभी किचन में घुसने नही देती थी। फिर उसके बाद काॅलेज और उसके बाद रायपुर में रहकर यू एस ए की एक कम्पनी में बतौर बीपीओ का काम करती थी। इसी दौरान उसकी माॅ की तबियत बिगड़ गई, चेकअप से पता चला कि उनकी किडनी खराब है, जिसके लिए उनके पास डायलिसिस ही एकमात्र विकल्प बचा। फिर क्या था जुही ने अपनी नौकरी छोड़ी और मां के पास बिलासपुर आ गई। यह बात आज से 04 वर्ष पहले की है जब उसकी मां को डाॅक्टरों ने सप्ताह के 03 दिन मतलब हर दूसरे दिन डायलिसिस कराने की सलाह दी। ऐसे में जुही का काम में वापस लौटने का सवाल ही नही उठता, फिर क्या था उस दिन से लेकर 20 अगस्त 2023 जब उन्होने देह त्याग दिया तब तक उनकी सेवा में दिन रात लगी रही। अपनी मा की लाडली कब अपनी मां की ही मां बन गई उसे खुद भी पता नही चला। वो कब इतनी बडी हो गई उसे भी यह याद नहीं। लेकिन जो लोग रेग्यूलर डायलिसिस में जाते हैं वे बताते है कि डायलिसिस होने के दौरान अपनी मां की छोटी बड़ी सभी जरूरतों का पूरा ख्याल रखती थी, वे लोग बताते हैं कि उसमें गजब की सकारात्मक उर्जा थी, वे सभी से हंसकर मिलती थी, उसे देखने से कभी यह नही लगा कि वो हाॅस्पिटल के चक्कर लगाकर थक गई होगी। सेवा का असली भाव उसके चेहरे पर झलकता था।

पिता ने कहा बेटी नहीं, बेटा है जुही
पिता शिवशंकर डे कहते हैं कि जुही मेरी बेटी नही बेटा है। परिवार सम्हालने की पूरी जिम्मेदारी उसी को सौंप देने के बाद लगभग 04 वर्षों से मां के लिए सभी फैसले उनकी बेटी ही लेती थी, पिता की माने तो उनकी बेटी ने कभी कोई फैसला गलत नहीं लिया। लेकिन ईश्वर की मर्जी के आगे किसकी चलती है।

राजेन्द्र वैष्णव बने भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य, समर्थकों में हर्ष व्याप्त..

सातवां पहर/मुंगेली

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्र संगठन से राजनीति की शुरुवात करने वाले राजेन्द्र वैष्णव को देश के सबसे बड़े राजनीतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रदेश इकाई में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के रूप में नवीन दायित्य मिला है। इसके साथ ही वे वर्तमान में कवर्धा विधान सभा प्रभारी भी है।
विद्यार्थी जीवन से ही छात्र राजनीति में सक्रिय रहने वाले राजेन्द्र वैष्णव भाजपा संगठन के विभिन्न महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन कर चुके है। जिनमे प्रमुख रूप से विद्यार्थी परिषद के मुंगेली नगर अध्यक्ष, बिलासपुर जिला संयोजक, युवा मोर्चा के मुंगेली नगर अध्यक्ष, बिलासपुर जिला महामंत्री एवं मुंगेली भाजपा जिला मंत्री जैसे विभिन्न पदों पर रहे है।
वर्तमान में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बनाए जाने पर समर्थकों में हर्ष व्याप्त है।

पांच दिवसीय ध्यान शिविर प्रारम्भ…

ओशो पिरामिड ध्यान आश्रम मदनपुर में पांच दिवसीय ध्यान शिविर का आज उद्घाटन हुआ स्वामी गोपाल भारती द्वारा संचालित इस ध्यान शिविर में छत्तीसगढ़ एवं छत्तीसगढ़ के बाहर से 30 साधक इस शिविर में सम्मिलित हुए हैं आज शाम 6:30 से ओशो संध्या सत्संग ध्यान से इस शिविर की शुरुआत हुई कल सक्रिय ध्यान विपश्यना ध्यान कुंडलिनी ध्यान और संध्या सत्संग ध्यान होगा इसी तरह आने वाले 4 दिनों तक सक्रिय ध्यान और संध्या सत्संग के अलावा अन्य ओशो के विभिन्न ध्यान प्रयोग कराए जाएंगे

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